Monday, October 29, 2018

अधूरापन

नदी के उस छोर पर
फिर आता है पानी

सूखेपन का एहसास कराके
बह जाता है पानी

प्यास जगाके स्वप्न दिखाके
जोर से एक शोर मचाके

कलकल करता बहता रहता
अस्तित्व सा बताता पानी

दिनभर के उपद्रव से
दूर वन के झालर से

मीठा मीठा स्वाद देकर
कुछ कहता रहता पानी

आवाज करता पानी
शांति भंग करता

मेरे बौनेपन का प्रतीक
मुझे अधूरा छोड जाता पानी

Saturday, October 20, 2018

घूँघट का अस्तित्व

घूँघट ही तो है
जो जोड़ता है
ह्रदय का ह्रदय से
मिलाप करवाता है
घूँघट ही तो है
जो अस्तित्व है
प्रेम के अटूट बंधन की
प्रेमी युगल की तृप्ति है
घूँघट ही तो है
जिसे उठाने से
भंग होती है माया
जो मायाजाल का मोह-पाश है
घूँघट ही तो है
जिसके जाने से
होती है कुलबुलाहट
जो मन की आहट है
घूँघट का क्या है औचित्य?
यही तो भीतर का तर्क-वितर्क है!!