Sunday, April 7, 2013

एक लघु भारत


भूखा पेट करता व्यवसाय
देह पर सहता अन्याय

माझी की मझधार में
हमारी एक कटार में

वास करते हैं आप
और करते रहते हैं पाप

चक्रव्यूह है अभिमन्यु का
राजनीति और सामाजिक परिस्थिति का

'फूलन ' और 'भंवरी ' सखियाँ
अश्रु-धारा में बह गयी अँखियाँ

बाल्य - काल था सुखमयी
यौवन भी रहा रहस्यमयी

अब वयस्क हैं पर क्या
'यूथ पॉलिटिक्स' नज़र आती 'इश्किया'

देह पर हक मांगने हेतु
बनाएंगे हम कोई भी 'सेतु'

'जय हिन्द'!

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