क इमं दशभिर्ममेन्द्रं क्रीणाति धेनुभिः
यदा वृत्राणि जंघानदथैनं मे पुनर्ददत
सही :
"क इमं दशभिर्ममेन्द्रं क्रीणाति धेनुभिः । यदा वृत्राणि जंघनदथैनं मे पुनर्ददत् ।।"
-ऋग्वेद-४/२४/१०
अर्थ-हमारे इस इन्द्र को कौन १० गायों से ख़रीद रहा है ? ( ध्यातव्य है कि प्राचीनकाल में गायों द्वारा ख़रीदारी होती थी । जैसे-राजर्षि अम्बरीष ने महर्षि ऋचीक के पुत्र “शुन:शेप” को १लाख गौवों से ख़रीदने की बात कर रहे हैं-
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