Sunday, November 30, 2014

अर्धांगिनी



अर्धांगिनी बनी हूँ जीवन की
संगिनी एक पल किस्मत ही की
पंथी मिले बहुतेरे रास्ते में
जीवन जैसा न कोय

अर्धांगिनी बनी हूँ जीवन की

जब रुलाये जब हंसाए
जब दौड़वाये जब सुलवाये
सब कर्त्तव्य संग-संग निभाये
राही नहीं है याद कोय

अर्धांगिनी बनी हूँ जीवन की

पंथ कौन या रीत है कौन
जो मिले अपनाये सबको
समय बीते न पता चले
किससे लागे जिया मोये

अर्धांगिनी बनी हूँ जीवन की

समर्पण है पूरा जिससे वो
जीवन साथ देता है अथाह
सब निकट हैं दूर भी सब
एक जीवन नहीं खोता मोये

अर्धांगिनी बनी हूँ जीवन की

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