एक जादुई तिलिस्म
मैं रोज़ उस बगीचे में जाती थी। वहाँ मुझे घर से दूर एक सुकून मिलता था। मैं वहाँ बैठती, थोड़ी देर तक अपने मन पसंद गाने गाती और फिर लौट आती। लेकिन उस दिन जैसे ही मैने गाना गाना बंद किया, मेरी नज़र बगल में ज़मीन पर पड़े एक तावीज़ पर पड़ी। पहले तो मुझे लगा मुझे उसे हाथ नहीं लगाना चाहिए। लेकिन जब काफी देर तक उसको कोई लेने नहीं आया तो मैं उठी और थोड़ी देर तक उसे निहारती रही।
फिर मैंने देखा कि उसमें से एक अजीब सी रोशनी निकल रही है। पहले तो मैं डरी और फिर ठिठकी। मन में तरह-तरह के विचारों ने मुझे घेर लिया - मैं उस तावीज़ को उठाऊँ या नहीं , मैं उसे खोलूँ या नहीं। लेकिन फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे उठाया, टटोला और खोला। उस तावीज़ की तेज़ रोशनी से पहले मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया , फिर जो हुआ मैं उसे बयान नहीं कर सकती।
पहले एक ज़ोर सा सिर-दर्द हुआ और मैं चारों खाने चित्त ज़मीन पर लेट गयी। मुझे लगा जैसे मैं अपनी आँखें खोल ही नहीं पा रही हूँ। आँखें बंद ही हो गईं। मेरा सिर चकराने लगा। मेरे दिमाग़ में तरह - तरह की यादें आने लगीं। कभी मैं चार साल की हो जाती , कभी पांच की , कभी नौ वर्ष की और कभी बीस वर्ष की। उन सभी उम्र में मेरे साथ जो जो हुआ था , वो सब मेरे दिमाग़ में घूमता रहता। फिर अचानक मैं भविष्य - काल में चली जाती। मैं किस तरह अपना बुढ़ापा काट रही हूँ, कहाँ हूँ , आदि। किसी एक समय में नहीं ठहर पा रही थी। ये सब घूमते घूमते , एक स्वामी मेरे सपने में आए और उन्होंने कहा - वर्तमान ही सर्वोत्तम समय होता है। मेरा शरीर मानो नया हो गया हो। मेरे सारे रोग शरीर से गायब हो गए हों। मेरी सारी महत्वाकांक्षायें गायब हो गयीं हों।
अब मैं चाहती सिर्फ़ अपने आपको , अपने आप से एक नया रिश्ता बनाना। जहाँ मैं खुश रहूँ क्योंकि एक उदास व्यक्ति कभी किसी को ख़ुशी प्रदान नहीं कर सकता।
धीरे - धीरे आँखें खुलीं और मैं अपने घर में अपने कमरे में थी जहाँ पूरा कमरा बहुत साफ़ हो गया था। मैं उठी और देखा कि मेरे अंदर एक नयी ऊर्जा आ गई है। मैं अपने सारे काम नियम से, सुचारू रूप से, सुव्यवस्थित ढंग से कर रही हूँ। मैं सबसे अच्छी तरह वार्तालाप कर रही हूँ और मैं अपने और दूसरों का अच्छी तरह ख़याल भी रख रही हूँ। अब मेरे कमरे में मेरे बगल में मेरी बेटी भी लेटी हुई है जो मुझे बार - बार प्यार कर रही है, मुझसे लाड़ कर रही है और मेरे साथ खेलने की इच्छा जता रही है।
जब मेरी बेटी सो गई तो मैं अक्सर सोचती हूँ कि आख़िर ये जादुई तिलिस्म क्या था , मेरे जीवन में कैसे आया और भगवान् ने इसे मेरे जीवन में क्यों भेजा ?
Very touching story of improving the present.
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